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Shri Skandamata Ji Ki Arti

जय तेरी हो स्कन्द माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी॥
तेरी जोत जलाता रहूं मैं।
हरदम तुझे ध्याता रहूं मैं॥
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा॥
कहीं पहाड़ों पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मन्दिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इन्द्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तू ही खंड हाथ उठाए॥
दासों को सदा बचाने आयी।
भक्त की आस पुजाने आयी॥
|| इति संपूर्णंम् ||


श्री स्कंदमाता माता जी की आरती का महत्व

श्री स्कंदमाता माता जी की आरती का सारांश, प्रभाव और आध्यात्मिक लाभ

आरती का सारांश:
श्री स्कंदमाता माता जी की आरती भक्तों द्वारा भक्ति और श्रद्धा से गाई जाती है। इसमें माता स्कंदमाता की महिमा, उनके दिव्य स्वरूप, और उनकी आराधना का वर्णन किया गया है। यहाँ पर इस आरती के प्रमुख बिंदुओं का सारांश प्रस्तुत किया गया है:
माता की महिमा:
"जय तेरी हो स्कन्द माता। पांचवां नाम तुम्हारा आता॥"
माता स्कंदमाता की महिमा का गुणगान करते हुए, उनके पञ्चवें नाम का उल्लेख किया जाता है।
माता की दिव्यता:
"सबके मन की जानन हारी। जग जननी सबकी महतारी॥"
माता स्कंदमाता सबके दिलों की जान हैं और विश्व की जननी हैं, सबकी माता हैं।
भक्ति और ध्यान:
"तेरी जोत जलाता रहूं मैं। हरदम तुझे ध्याता रहूं मैं॥"
भक्त माता की ज्योति को जलाते रहने और हर समय माता को ध्यान में रखने की प्रार्थना करते हैं।
माता के निवास स्थान:
"कही पहाड़ों पर है डेरा। कई शहरों में तेरा बसेरा॥"
माता के निवास स्थान विभिन्न पहाड़ियों और शहरों में हैं, उनके दर्शन हर मंदिर में होते हैं।
भक्ति और शक्ति:
"भक्ति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥"
भक्त माता से भक्ति और शक्ति प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं, जिससे उनकी बिगड़ी स्थिति सुधर जाए।
दुष्ट दैत्यों से रक्षा:
"दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए। तू ही खंड हाथ उठाए॥"
जब दुष्ट दैत्य आक्रमण करते हैं, तब माता ही उनकी रक्षा करती हैं और भक्तों की रक्षा करती हैं।
देवताओं की पुकार:
"इन्द्र आदि देवता मिल सारे। करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥"
सभी देवता, जैसे इन्द्र, माता की आराधना करते हैं और उनके दरवाजे पर पुकारते हैं।

श्री स्कंदमाता माता जी की आरती का प्रभाव:

आध्यात्मिक संतोष और शांति:
माता स्कंदमाता की आरती से भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक संतोष प्राप्त होता है। यह आरती भक्तों के मन को शांत करती है और आत्मिक शांति प्रदान करती है।
भक्ति और समर्पण:
इस आरती का नियमित पाठ भक्तों की भक्ति और समर्पण को प्रगाढ़ करता है। यह माता के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है।
संकटों से मुक्ति:
आरती के माध्यम से भक्तों को माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में आने वाले संकट और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

श्री स्कंदमाता माता जी की आरती का आध्यात्मिक लाभ:

आध्यात्मिक उन्नति:
माता स्कंदमाता की आरती से भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह उनकी भक्ति और समर्पण को और अधिक प्रगाढ़ करता है।
सुरक्षा और रक्षा:
इस आरती के पाठ से भक्तों को माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे वे जीवन के कठिन समय में सुरक्षित और संरक्षित महसूस करते हैं।
भक्ति और आशीर्वाद:
नियमित रूप से इस आरती का पाठ करने से भक्तों को माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति आती है।
सारांश में:
श्री स्कंदमाता माता जी की आरती माता की महिमा का गुणगान करती है, उनके दिव्य स्वरूप की पूजा करती है, और भक्तों के जीवन को सुख और समृद्धि प्रदान करती है। यह आरती मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और संकटों से मुक्ति का साधन है।

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