Shri Mahagauri Mata Ji Ki Arti
जय महागौरी जगत की माया। जय उमा भवानी जय महामाया॥हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहा निवास॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे। जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिक देवी जग विख्याता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
|| इति संपूर्णंम् ||
श्री महागौरी माता जी की आरती का महत्व
श्री महागौरी माता जी की आरती का सारांश, प्रभाव और आध्यात्मिक लाभ
आरती का सारांश:श्री महागौरी माता जी की आरती माता महागौरी की महिमा और उनके दिव्य स्वरूप का गुणगान करती है। इसमें माता महागौरी की पूजा, उनके निवास स्थान, और उनके विभिन्न रूपों की स्तुति की जाती है। यहाँ पर इस आरती के प्रमुख बिंदुओं का सारांश प्रस्तुत किया गया है:
माता की महिमा और आराधना:
"जय महागौरी जगत की माया। जय उमा भवानी जय महामाया॥"
माता महागौरी की महिमा की आराधना की जाती है और उन्हें जगत की माया और महामाया के रूप में पूजा जाता है।
माता का निवास स्थान:
"हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहा निवास॥"
माता महागौरी का निवास हरिद्वार के कनखल क्षेत्र में बताया जाता है।
माता के विभिन्न रूप:
"चन्द्रकली और ममता अम्बे। जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥"
माता महागौरी को चंद्रकली और ममता अम्बे के रूप में पूजा जाता है और उन्हें शक्ति और जगदम्बा के रूप में सम्मानित किया जाता है।
माता की प्रसिद्धि:
"भीमा देवी विमला माता। कौशिक देवी जग विख्यता॥"
माता महागौरी को भीमा देवी, विमला माता और कौशिक देवी के रूप में भी पूजा जाता है, जिनकी प्रसिद्धि पूरे जगत में फैली हुई है।
माता का स्वरूप:
"हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥"
माता महागौरी हिमाचल के घर में गौरी रूप में प्रकट होती हैं और उनका स्वरूप महाकाली और दुर्गा के समान है।
माता के नाम की प्राप्ति:
"सती (सत) हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥"
सती के हवन कुंड में जलाए गए धुएं से माता महागौरी का रूप काली में बदल गया था।
शरणागतों की रक्षा:
"बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥"
धर्म सिंह को सवारी में देखकर शंकर ने त्रिशूल दिखाया, जिससे माता महागौरी ने अपना नाम प्राप्त किया और शरणागतों की रक्षा की।
शनिवार को पूजा का महत्व:
"शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥"
शनिवार को माता महागौरी की पूजा करने से बिगड़े हुए काम सुधर जाते हैं।
भक्तों की प्रार्थना:
"भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥"
भक्त माता महागौरी की जयकार करते हैं और उनके प्रति श्रद्धा और प्रेम प्रकट करते हैं।
श्री महागौरी माता जी की आरती का प्रभाव:
मानसिक शांति और संतोष:माता महागौरी की आरती से भक्तों को मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है। यह आरती उनके मन को शांति और स्थिरता प्रदान करती है।
भक्ति और समर्पण:
आरती का नियमित पाठ भक्तों की भक्ति और समर्पण को प्रगाढ़ करता है। यह माता के प्रति श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है।
समस्याओं का समाधान:
इस आरती के पाठ से जीवन की समस्याओं और संकटों का समाधान होता है। माता का आशीर्वाद प्राप्त करने से भक्तों की समस्याएँ दूर होती हैं।
श्री महागौरी माता जी की आरती का आध्यात्मिक लाभ:
आध्यात्मिक उन्नति:माता महागौरी की आरती से भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह उनकी भक्ति और समर्पण को बढ़ावा देती है।
संकट नाशक:
इस आरती के पाठ से भक्तों को संकटों से मुक्ति मिलती है। माता के आशीर्वाद से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं।
आशीर्वाद की प्राप्ति:
नियमित रूप से इस आरती का पाठ करने से भक्तों को माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति आती है।
सारांश में:
श्री महागौरी माता की आरती माता की महिमा और दिव्य स्वरूप की पूजा करती है। यह आरती भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और संकटों से मुक्ति प्रदान करती है। माता के आशीर्वाद से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
यहां से आप अन्य पेज पर जा सकते हैं:
Rahu Dosh
राहु के प्रभाव और उसके उपायों के बारे में जानें
शनि की साढ़े साती का प्रभाव
जानें कैसे राशियां इन कठिन चरणों से गुजर रही हैं।
क्या हनुमान जी आज भी हमारे बीच हैं?
उनकी अमरता का ऐसा रहस्य जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
काल भैरव मंदिर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
जानें वाराणसी का वह दिव्य स्थल, जहां हर मनोकामना पूर्ण होती है।
काल भैरव मंदिर, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
जानें उज्जैन का रहस्यमय कोतवाल और अद्भुत धार्मिक स्थल
Mahakumbh 2025
इस पवित्र संगम में स्नान कर जानिए मोक्ष का मार्ग, संतों का आशीर्वाद और इस आयोजन की आध्यात्मिक गहराई।
नवंबर और दिसंबर 2024 में विवाह के लिए शुभ मुहूर्त
शादी की तारीख तय करने से पहले पढ़ें!